जयपुर
राजस्थान में सालों बाद हो रहे थर्ड ग्रेड शिक्षकों के तबादलों के लिए इस बार बम्पर आवेदन आए हैं। करीब 85 हजार तृतीय श्रेणी शिक्षकों ने अपने जिलों में जाने के लिए आवेदन किया है। इतने आवेदन आने के बाद विभाग अब तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों की गाइड लाइन बनाने में जुट गया है।
आपको बता दें प्रदेश में 15 सितम्बर तक तबादलों की छूट है। ऐसे में माना जा रहा है कि तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले की गाइडलाइन बनने पर 15 सितम्बर तक थर्ड ग्रेड शिक्षकों के तबादलों की एक सूची जारी हो सकती है। सूत्रों से खबर आ रही है कि जिन जिलों या जिस श्रेणी में ज्यादा मारामारी है उनके तबादले दूसरे चरण में किए जाएंगे।
प्रदेश में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों के 85 हजार आवेदन मिलने के बाद अब विभाग को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी चुनौती ये है कि जिन जिलों में इन शिक्षकों ने तबादला चाहा है, वहां उस तादाद में उनके पद रिक्त ही नहीं हैं। इसलिए विभाग की ओर से तबादलों से पहले रोडमैप तैयार किया जा रहा है।
शिक्षकों की श्रेणी व जिलेवार हो रही है छंटनी
विभाग की ओर से तृतीय श्रेणी में आवेदन करने वाले शिक्षकों की श्रेणी व जिलेवार छंटनी कराई जा रही है। इसके बाद ही स्थिति साफ होगी कि किस श्रेणी के कितने शिक्षक कौनसे जिले में जाना चाहते है और वहां कितने पद रिक्त है। इसके बाद ही विभाग की ओर से थर्ड ग्रेड शिक्षकों के तबादले की गाइडलाइन पर मुहर लगेगी।
डोटासरा खुद बने विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती
शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सबसे बड़ी चुनौती तो उनके विभाग के मंत्री गोविन्द डोटासरा से मिल रही है। क्योंकि डोटासरा अब इन तबादलों के बहाने अपनी सियासी जड़ें मजबूत करने में लगे हैं। वे अपने बयानों में कई बार कह चुके हैं कि वे दूसरे जिलों में सेवारत शिक्षकों को अपने गृह जिले सीकर में लाकर रहेंगे। उन्होंने बाहर कार्यरत सीकर जिले के शिक्षकों को कहा भी है कि वे आवेदन करें , 24 घंटों में उनके आदेश सीकर के करवा देंगे।
अब शिक्षा मंत्री गोविन्द डोटासरा ने यह बात कह तो दी लेकिन अधिकारियों के सामने चुनौती ये है कि डोटासरा के गृह जिले के सीकर के पांच हजार से अधिक शिक्षकों ने अपने गृह जिले में आने के लिए आवेदन किया है। जबकि सीकर जिले में लगभग 1200 पद ही रिक्त बताए गए। चूरू व झुंझनूं सहित अन्य पड़ौसी जिलों में भी नहीं भेजा जा सकता है क्योंकि उन जिलों में आने वाले शिक्षकों की संख्या लगभग इतनी ही है।
डार्क जोन में नहीं जाना चाहता कोई
राजस्थान सरकार ने कुछ जिलों को तबादलों के लिहाज से डार्क जोन घोषित कर रखा है। यहां से 38 हजार से ज्यादा शिक्षक ऐसे हैं जो यहां से अपने गृह जिलों में जाना चाहते हैं। जबकि डार्क जोन वाले जिलों में जाने वाले शिक्षकों की संख्या काफी कम है। ऐसे में डार्क जोन में रिक्त पदों को भरना शिक्षा विभाग के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। गाइड लाइन बनाते समय इसका रास्ता भी खोजा जा रहा है।
विभाग गाइडलाइन बनाई बनाते समय इस बात पर मशक्क्त कर रहा है कि कैसे एकल महिला, विधवा, परित्यक्ता, गंभीर बीमारियों से पीडि़त शिक्षक, दिव्यांग आदि के साथ अन्य शिक्षकों को राहत दी जा सकती है। इन शिक्षकों के साथ शारीरिक शिक्षक, मंत्रालयिक कर्मचारी, प्रयोगशाला सहायक व पुस्तकालध्यक्ष आदि के तबादलों को लेकर भी तैयारी की जा रही है।
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