मेहंदीपुर बालाजी महंत की गद्दी को लेकर विवाद, मंदिर का अधिग्रहण कर सकती है सरकार?

जयपुर 

दौसा जिले के  विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मेहंदीपुर बालाजी के महंत किशोर पुरी के देवलोकगमन के बाद अब उनकी गद्दी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। ऐसे में सरकार अब जनहित में मंदिर का अधिग्रहण करने जैसा कदम उठा सकती हैइस बारे में सरकार में उच्च स्तर पर विचार विमर्श चल रहा है सरकार इसको लेकर विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर रही है

देवस्थान विभाग ने जारी की सार्वजानिक सूचना
किशोर पुरी महाराज के निधन के बाद मंदिर का कोई धणी धोरी नहीं रहा है इसे देखते हुए फ़िलहाल देवस्थान विभाग ने मंदिर के संचालन के लिए प्रबंध समिति के गठन का फैसला कर लिया है। इसे मंदिर अधिग्रहण की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है। प्रबन्ध समिति गठन के इस निर्णय के बाद देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त ने सार्वजनिक सूचना भी जारी कर दी है।

देवस्थान विभाग की ओर से जारी इस सार्वजानिक सूचना में प्रबंध समिति गठन के लिए हितधारी व्यक्तियों से 17 अगस्त तक सुझाव मांगे गए हैं। इन सुझावों को सहायक आयुक्त देवस्थान विभाग अपनी टिप्पणी के साथ आयुक्त देवस्थान विभाग को भेजेंगे । इसके बाद के सुझाव राज्य सरकार तक जाएंगे। इसके बाद राजस्थान सरकार मंदिर के अधिग्रहण को लेकर कोई फैसला कर सकती है।

सरकार के इस फैसले का दसनाम गोस्वामी समाज ने विरोध करते हुए बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। समाज के पदाधिकारियों का कहना है कि सैकड़ों वर्षो से गोस्वामी समाज के ही प्रतिनिधि मेहंदीपुर बालाजी के महंत की गद्दी पर आसीन रहे हैं। पहले गणेश पुरी महाराज और फिर किशोर पुरी महाराज मेहंदीपुर बालाजी के महंत थे। अब उनके उत्तराधिकारी गणेशपुरी महाराज के अधीन मन्दिर में प्रशासन अनावश्यक और अवैधानिक रूप से दखल देकर अधिग्रहण की कोशिश कर रहा है।

दसनाम गोस्वामी समाज ने चेतावनी दी कि सरकार ने प्रबंध समिति गठित की तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा और इसके लिए नेशनल हाईवे जाम किया जाएगा।  इसे लेकर अखिल भारतीय दशनाम गोस्वामी समाज दिल्ली और दशनामी गोस्वामी सभा समिति ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र भी लिखे हैं।

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