अख़बार से चेतना, हॉस्टल से संकल्प; उदयपुर में गर्ल्स हॉस्टल से नशा-मुक्ति का संदेश

उदयपुर (Udaipur) के RCA गर्ल्स हॉस्टल में नशा मुक्ति जागरण अभियान शुरू हुआ। डॉक्टर पीसी जैन ने छात्राओं को नशे के दुष्प्रभाव बताए और जागरूकता के लिए अख़बारों की भूमिका पर जोर दिया।

उदयपुर 

नशा मुक्ति की लड़ाई में अब किताबों के साथ अख़बार भी हथियार बन रहे हैं। उदयपुर के आरसीए गर्ल्स हॉस्टल में शुक्रवार को नशा मुक्ति जागरण अभियान की शुरुआत हुई, जहां छात्राओं ने न केवल नशे के दुष्परिणाम सुने, बल्कि अख़बारों में प्रकाशित नशा-मुक्ति से जुड़े समाचार पढ़कर एक-दूसरे को सतर्क भी किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ व्यसन मुक्त भारत अभियान की जिला समिति के सदस्य एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पी.सी. जैन ने किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में समाचार पत्र नशा मुक्ति अभियान में अहम भूमिका निभा रहे हैं, क्योंकि वे समाज को सच से रूबरू कराकर जागरूकता फैला रहे हैं।

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अख़बार बने जागरूकता का माध्यम

कार्यक्रम के दौरान छात्राओं ने अपने हाथों में नशा मुक्ति से जुड़े प्रमुख समाचार लेकर उन्हें पढ़ा और अन्य छात्राओं को नशे से दूर रहने का संदेश दिया। इस पहल ने माहौल को गंभीर और संवेदनशील बना दिया।

सिगरेट के धुएं का ‘काला सच’

अपने प्रभावशाली प्रेजेंटेशन में डॉ. पीसी जैन ने एक सिगरेट से निकलने वाले धुएं को फिल्टर पेपर पर दिखाकर यह साबित किया कि वही काला ज़हर फेफड़ों में भी जमा होता है। उन्होंने गुटखा, तंबाकू, शराब, गांजा जैसे नशों के पुरुष और स्त्री शरीर पर पड़ने वाले तुलनात्मक प्रभाव समझाते हुए कहा कि स्त्रियों पर नशे का असर कहीं अधिक घातक होता है, क्योंकि उनकी शारीरिक और मानसिक संरचना अलग होती है।

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भविष्य की पीढ़ी पर असर

डॉ. जैन ने गर्भावस्था के दौरान अधिक स्क्रीन टाइम और नशे के दुष्प्रभाव का उदाहरण देते हुए बताया कि ऐसे मामलों में जन्मे बच्चे पढ़ाई, गणित और भाषा सीखने में पीछे रह जाते हैं। उन्होंने छात्राओं से सवाल किया—
“क्या कोई मां ऐसा भविष्य अपने बच्चे के लिए चाहेगी?” इस पर पूरे सभागार से एक साथ आवाज़ आई— “नहीं”।

लाइव डेमो: ब्रेथ एनालाइज़र और 4-फिंगर टेस्ट

कार्यक्रम के दौरान छात्राओं को

  • शराब पहचानने के लिए ब्रेथ एनालाइज़र
  • तंबाकू सेवन पहचानने के लिए ‘4-फिंगर टेस्ट’ का प्रत्यक्ष अभ्यास भी करवाया गया, जिससे जागरूकता और गहरी हुई।

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नशा मुक्ति नृत्य और गीत से भावनात्मक संदेश

अंत में छात्राओं ने नशा मुक्ति पर आधारित नृत्य और गीत ‘आजा रे अब मेरा दिल पुकारे… बदनाम ना हो यह नशा” प्रस्तुत कर माहौल को भावनात्मक बना दिया।

वार्डन डॉ. पूजा शर्मा ने ऐसे कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करने का आग्रह किया। असिस्टेंट वार्डन गरिमा चौधरी ने हर दो-तीन माह में अभियान चलाने की बात कही। कार्यक्रम के समापन पर डॉ. पीसी जैन ने सभी छात्राओं से नशा न करने और दूसरों को भी नशा छुड़ाने में सक्रिय भूमिका निभाने का संकल्प दिलाया।

इस अभियान में लक्षिता चौहान, पारुल उपाध्याय, पायल चौधरी, पुष्पा मीणा, सचिन कुमारी, अनीता धनकर और मुनीश गुर्जर ने सक्रिय सहभागिता निभाई।

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