एमपीयूएटी-उदयपुर द्वारा कोटड़ा के बडली गांव में मक्का की उन्नत खेती पर एकदिवसीय प्रशिक्षण आयोजित, 120 किसानों ने भाग लिया। वैज्ञानिकों ने बीज, रोग, खरपतवार और तकनीक की विस्तृत जानकारी दी।
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उदयपुर
एमपीयूएटी-उदयपुर में संचालित अखिल भारतीय मक्का अनुसंधान परियोजना के तहत कोटड़ा तहसील के बडली गाँव में मंगलवार को मक्का की उन्नत खेती पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में गांव के करीब 120 किसान शामिल हुए और खेत से लेकर बाजार तक मक्का की पूरी वैज्ञानिक खेती की बारीकियां सीखीं।
सरपंच, सामाजिक कार्यकर्ता और वैज्ञानिकों की मौजूदगी
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे—
- सरपंच श्रीमती माया देवी
- श्री शंभू लाल लोंऊर, सामाजिक कार्यकर्ता
- डॉ. हरीश कुमार सुमेरिया, सस्य विज्ञान वैज्ञानिक
- डॉ. राम नारायण कुम्हार, सूत्रकृमि, पादप एवं रोग वैज्ञानिक
- श्री शंकर लाल परमार, कृषि पर्यवेक्षक, राजस्थान सरकार
कम लागत में ज्यादा उत्पादन—डॉ. सुमेरिया ने दिया पूरा फार्मूला
डॉ. हरीश कुमार सुमेरिया ने किसानों एवं स्थानीय कार्यकर्ताओं का स्वागत करते हुए रबी मक्का की पहली पंक्ति प्रदर्शन (Frontline Demonstration) की अवधारणा समझाई। उन्होंने बीज बुवाई का सही समय, पंक्ति से पंक्ति की आदर्श दूरी, कम लागत में अधिक उत्पादन की तकनीक और फसल कटाई से लेकर भंडारण तक
पूरे चक्र की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रबी मक्का में खरपतवार सबसे बड़ी चुनौती है। किसानों को कौन-सा खरपतवारनाशी, कितनी मात्रा में,,कब और कैसे छिड़कना चाहिए— इसकी व्यवहारिक जानकारी दी गई, ताकि उत्पादन पर असर न पड़े और आदिवासी किसानों की आय में वास्तविक सुधार हो।
कीट, रोग और सूत्रकृमि—समय पर पहचाने तो आधी समस्या खत्म
पादप रोग एवं सूत्रकृमि वैज्ञानिक डॉ. राम नारायण कुम्हार ने मक्का में लगने वाले प्रमुख रोग, कीट और सूत्रकृमियों की पहचान करवाते हुए उपचार के सही समय और सही दवाई की जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि—
- मक्का की उन्नत किस्म कैसे तैयार करें,
- खेत में उत्पादन बढ़ाने की आधुनिक तकनीक क्या है,
- और बाजार में बेहतर दाम कैसे मिले।
डॉ. कुम्हार ने किसानों को मक्का के साथ अन्य वैकल्पिक साधनों को अपनाकर आय दोगुनी करने के तरीकों पर भी चर्चा की।
किसानों को मिला बीज और खरपतवारनाशी
कार्यक्रम के अंत में हर किसान को रबी मक्का की उन्नत किस्म का बीज और खरपतवारनाशी वितरण किया गया, ताकि वे सीखी हुई तकनीकों को तुरंत अमल में ला सकें।
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