बारां
शिक्षा विभाग (Education Department) में घोटाले की ऐसी कहानी सामने आई है, जिसे सुनकर लोग दंग रह गए। 25 साल तक स्कूल में ड्यूटी पर न दिखे शिक्षक दंपती विष्णु गर्ग और मंजू गर्ग बच्चों को पढ़ाने की बजाय अपनी जगह ‘डमी मास्टर’ बैठाकर तनख्वाह उठाते रहे। अब पूरा खेल खुल गया है और शिक्षा विभाग ने दोनों से 9 करोड़ 31 लाख 50 हजार 373 रुपए की भारी-भरकम रिकवरी का अंतिम नोटिस जारी कर दिया है।
राजपुरा के प्राथमिक विद्यालय में तैनात यह शिक्षक दंपती सालों से स्कूल में ‘नदारद’ रहे। शिकायत पर जब पुलिस और शिक्षा विभाग की टीम स्कूल में पहुंची तो वहां तीन डमी टीचर बच्चों को पढ़ाते मिले। पूछताछ में सामने आया कि एक शख्स को 7 हजार और दो महिलाओं को 4-4 हजार मासिक देकर वर्षों से पढ़ाने का ‘फर्जी इंतजाम’ चल रहा था।
जांच में खुलासा हुआ कि विष्णु गर्ग ने 1997 से 2024 तक 84.72 लाख वेतन उठाया और 4.07 करोड़ ब्याज समेत कुल 4.92 करोड़ की देनदारी बनाई। वहीं, मंजू गर्ग ने 1999 से 2024 तक 82.48 लाख वेतन लिया और 3.56 करोड़ ब्याज समेत कुल 4.38 करोड़ का हिसाब बन गया।
इस सनसनीखेज मामले में पहले पुलिस ने केस दर्ज किया, फिर शिक्षा विभाग ने कार्रवाई करते हुए दोनों को निलंबित कर दिया। अब विभाग पीडीआर एक्ट के तहत वसूली की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है।
कहानी यहीं खत्म नहीं हुई—इस फर्जीवाड़े की गाज तीन अधिकारियों पर भी गिरी। तत्कालीन सीबीईओ, पीओ और एक शिक्षिका को भी जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई की गई।
कह सकते हैं कि बारां का यह मामला ‘गायब गुरूजी’ का ऐसा किस्सा बन गया है, जिसमें बच्चे डमी मास्टरों से पढ़े और असली मास्टर करोड़ों कमा कर फरार हो गए।
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