‘सब के लिए खिलौने’

डॉ. अलका अग्रवाल (Dr. Alka Agarwal) की पुस्तक ‘सब के लिए खिलौने’ एक महत्वपूर्ण बाल नाटक संकलन है ,जो आधुनिक बच्चों की शैक्षणिक और नैतिक आवश्यकताओं को पूरा करता है। इसके सभी नाटकों के प्रमुख पात्र

रौनक…

सुबह उठी तो कुछ शोर सा सुनाई दिया । मेरे सामने के मकान में कॉलेज के सेवनिवृत्त प्राचार्य रहते हैं, उनके यहां चोरी हो गई थी। पड़ोस वाली आंटी से बात करने पर पता चला कि चोर खिड़की तोड़कर अंदर घुसे थे।…. शायद उन्हें कुछ

आदमी और जानवर …

अभी तक तो मैंने
आदमखोर शेर का
नाम ही सुना था।
लेकिन अब तो
देख लिया ऐसे लोगों को

अंतिम घड़ी…

80 वर्षीय दादाजी में जीने की अदम्य इच्छा थी। लेकिन पिछले दिनों, शहर में उनके कई परिचित, रिश्तेदार और मित्र एक-एक कर भगवान को प्यारे हो गए। इस कारण दादाजी की सकारात्मकता भी डगमगाने लगी और उनके मन में

ऐसी हैं आजकल की लड़कियां…

अब वे अन्याय नहीं सहतीं।
अब वे चुपचाप नहीं रहतीं।
अब वे बेबाक हो सब कहतीं।

पुरस्कार की हकदार…

एक स्कूल में प्रार्थना सभा चल रही थी। हेड मास्टर साहब ने प्रातः अनन्या का नाम पुरस्कार हेतु घोषित किया। अनन्या को समझ में नहीं आया, उसे क्यों बुलाया जा रहा है? उसने तो ऐसा कोई

क्यों सुख चपला सा चमके…

यह दुनिया दर्द का दरिया,
पर यहीं हमें रहना है।
अश्रु को समझ कर मोती
जीवन अपना जीना है।
अपना ही गम

छांव की तलाश…

कब से तलाश रही हूँ छाँव
मिल जाए कोई बरगद
उसकी दूर दूर तक फैली
शीतल छाया में,

डायरी के पन्ने…

पापा को इस दुनिया से गए 4 दिन हो गए थे। सभी रिश्तेदार जा चुके थे। मैं मां के पास ही रुक गई थी। मां नींद की गोली देने के बाद बड़ी मुश्किल से

किताब ही है जिंदगी…

जिंदगी एक किताब ही तो है,
हर दिन एक पृष्ठ है,
जिस पर