वार्ड 43 में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर मां सरस्वती की पूजा अर्चना कर सभी के लिए सुख शांति, ज्ञान व अच्छे स्वास्थ्य की मंगलकामना करते हुए
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फिर बसंत आया
फिर से महक उठी है बगिया,
खुशियों का हो ज्यों पगफेरा,
नई महक है, रूप नया सा,
नव श्रृंगारित हरित धरा का।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और ललिता प्रसाद सुकुल का भावपूर्ण स्मरण
बसंत पंचमी पर बंगीय हिंदी परिषद का स्थापना-दिवस और निराला-सुकुल जयंती समारोह…
हे वीणा वादिनी मां…
हे वीणा वादिनी मां…