वैर (मुरारी शर्मा एडवोकेट)
वैर (Wair) कस्बा स्थित हम माया देवी मिश्र द्वारा आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का समापन मंगलवार को सातवें दिवस हर्षोल्लास और भक्ति भाव के साथ हुआ। वृंदावन धाम से पधारे कथा वाचक लोकेश लवानिया ने सुदामा चरित्र का मार्मिक प्रसंग सुनाया।
उन्होंने बताया कि किस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने अपने दरबार में सुदामा का चरण प्रक्षालन कर दो लोकों का राजपाट समर्पित किया और जब तीसरे लोक का प्रसंग आया, तब महारानी रुक्मिणी ने भगवान के हाथ थामकर उन्हें रोक लिया। यह प्रसंग सुनते ही पांडाल में बैठे श्रद्धालु भक्ति-रस में डूब गए।
इस दौरान उन्होंने कौरव सभा में द्रौपदी चीरहरण का करुण अध्याय भी प्रस्तुत किया और बताया कि कैसे द्रौपदी ने संकट की घड़ी में श्रीकृष्ण का स्मरण किया और भगवान ने उसका अपरिमित चीर बढ़ाकर उसकी लाज बचाई। कथा सुनते समय पांडाल में उपस्थित महिला-पुरुष भावविभोर होकर आँसू पोंछते नजर आए।
जब कथा वाचक ने भजन — “ऐसे निर्मोही श्याम वृंदावन छोड़ गये री बहना…”
गुनगुनाया, तो पांडाल में बैठी महिलाओं ने झूमते हुए नृत्य कर भक्ति वातावरण को और भी सरस बना दिया।
29 अक्टूबर से प्रारंभ हुई इस भक्ति-ज्ञानयज्ञ का समापन आज सामूहिक आरती और प्रसाद वितरण के साथ हुआ।
आयोजन में उपस्थित
राधा मिश्र, माया देवी मिश्र, मीनाक्षी शर्मा, प्रवीण मिश्र, कृतेश मिश्र, बृजेश मिश्र, मुरारी शर्मा, शशिकांत शर्मा, जगदीश पटवारी, मनोज चरौरा, निर्मल सैनी, नवीन रावत, उदित रावत, जतिन चरौरा, गुड्डन मिश्र, छुट्टन मिश्र, कविता मिश्र, हेमंत जैन, भंवर सैनी, बृजमोहन, रामभरोसी सैनी, अभिषेक सैनी सहित काफी संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे।
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