भरतपुर में बंदरों की धमाचौकड़ी ने लोगों का जीना किया मुश्किल, नगर निगम मौन

भरतपुर 

भरतपुर शहर में बंदरों का आतंक मचा हुआ है। शहर में जहां देखो बंदरों की धमाचौकड़ी ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। बंदरों की वजह से अनेक लोग घायल हो चुके हैं। लेकिन भरतपुर नगर निगम इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।

शुक्रवार को सुबह भरतपुर के जवाहर नगर क्षेत्र में बंदरों ने एक घर में अचानक धावा बोल दिया जिससे कॉलोनी निवासी अशोक बंसल अपने को संभाल नहीं पाए और बंदरों से बचने की कोशिश में गिर गए जिससे उनको गंभीर चोटें आईं। उनके गंभीर चोट के साथ सिर में 8 टांके आए हैं।

घायल अशोक बंसल

बजट की हो जाती है बंदरबांट
आपको बता दें कि भरतपुर शहर में बंदरों की धमाचौकड़ी की यह समस्या बहुत पुरानी है। बंदरों को पकड़ने के लिए बजट भी होता है और उसके ठेके भी होते हैं। पर जनता की सहूलियत के लिए आवंटित इस बजट की ही ठेकेदारों और अधिकारियों के बीच बंदरबांट हो जाती है। कागजों में बंदरों को पकड़ना और छोड़ना दिखा दिया जाता है।

बंदर पकड़ने के नाम पर ये होता है खेल
लोगों की कई बार शिकायतें यहां तक आई हैं कि ठेकेदार बंदरों को एक मौहल्ले से पकड़ कर दूसरे मौहल्ले में  छोड़ आते हैं जिससे कि समस्या जस की तस बनी रहे और उनकी दुकान भी चलती रहे। भरतपुर में बंदरों के आतंक की समस्या इस कदर बनी हुई है कि घरों में लोग विशेषकर महिलाएं और बच्चे सहमे-सहमे से रहते हैं। लोगों ने छतों पर तक जाना बंद कर दिया है। बन्दर घरों में से फ्रिज खोल कर चीजें निकाल ले जाते हैं।

पार्षद दीपक मुदगल ने कहा कि बंदर के अलावा आवारा सांड व सुअरों ने भी भरतपुर शहर के लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। पिछले कुछ दिनों से  बरसात के पानी से हुए जल भराव के कारण भी लोग परेशान हैं। एक तरफ सुअरों का जमावड़ा तो दूसरी तरफ सांडों के लडाई से चोटिल लोग सीवरेज, गैस पाइप लाइन के कारण उखड़ी पड़ी सड़कों से तंग आ गए हैं।

पार्षद ने कहा कि वह अनेक बार नगर निगम प्रशासन को वार्ड की समस्याओं से अवगत करा चुके हैं लेकिन नगर निगम की व्यवस्थाएं नकारा नजर आती हैं। उन्होंने कहा कि मूलभूत सुविधाओं का जिम्मा लेने वाले नगर निगम से  वार्ड में विकास कार्यों के लिए व्यक्तिगत आग्रह करने पर भी निगम तंत्र पर कोई असर नहीं होता। उन्होंने कहा कि निगम कि यही कार्यशैली रही तो बहुत जल्द वार्ड की जनता के साथ निगम में धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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