भरतपुर
रामेश्वरी देवी राजकीय कन्या महाविद्यालय, भरतपुर में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) के सौजन्य से ‘गुरुवंदन’ कार्यक्रम का भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर गुरु की महिमा, शिक्षा के उद्देश्य और विद्यार्थी-गुरु संबंध की गहराई को भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. मधु शर्मा ने की।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रो. लाला शंकर गयावाल ने मंचस्थ अतिथियों का स्वागत एवं परिचय कराते हुए कार्यक्रम का सुंदर संचालन किया।
विषय प्रवर्तन के रूप में बृजेश कौशिक ने आषाढ़ पूर्णिमा के महत्व को स्पष्ट करते हुए बताया कि यह पहले व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती थी, जो आज गुरु पूर्णिमा के रूप में प्रतिष्ठित है। उन्होंने कबीर और उनके गुरु रामानंद का उल्लेख करते हुए कहा कि सच्चा गुरु वही है जो शिष्य के अज्ञान का नाश करे और उसे संस्कारित कर राष्ट्र निर्माण में सक्षम बनाए।

मुख्य वक्ता प्रो. योगेन्द्र भानु ने शैक्षिक महासंघ द्वारा मनाए जाने वाले तीन महत्वपूर्ण आयोजनों — गुरु वंदन, कर्तव्य बोध दिवस और नव संवत्सर — का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि गुरु वही है जिसमें ‘गुरुत्व’ हो, जो शिष्य को अपने ज्ञान और साधना से आकर्षित कर उसे ‘श्रेय मार्ग’ की ओर प्रेरित करे। उन्होंने कहा कि “इंद्रियाँ गुरुत्वाकर्षण की ओर सहज रूप से बहती हैं, लेकिन उर्ध्वगमन के लिए गुरु का होना आवश्यक है।”
प्राचार्य प्रो. मधु शर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आज के समय में छात्राओं में संस्कृति और संस्कारों का समावेश अत्यंत आवश्यक है, और यह कार्य गुरु के माध्यम से ही संभव होता है। उन्होंने गुरुओं को समाज के निर्माता बताते हुए कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों में श्रद्धा, अनुशासन और मार्गदर्शन की भावना को मजबूत करते हैं।

इस अवसर पर महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका ‘प्रेरणा 2024-25’ का विमोचन भी मंचस्थ अतिथियों द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के अनेक वरिष्ठ प्राध्यापक, कर्मचारी और छात्राएं उपस्थित रहीं, जिनमें प्रमुख रूप से प्रो. करूणा गौर, प्रो. निशा गोयल, प्रो. सुनील गुप्ता, प्रो. अंजु पाठक, प्रो. कविता आचार्य, प्रो. अलका गोयल, डॉ. सरोज, श्रीमती दीप्ति अग्रवाल, श्री जगदीश कुमार, श्री दीवान सिंह, श्री नटवर सिंह, श्री जयराम, श्री योगेन्द्र सिंह, श्री देवेन्द्र गहलोत, श्रीमती अंशु गुप्ता, श्री निशांत सिंह चौहान, सुश्री अंशुलता बंसल, डॉ. पूजा, श्रीमती संतोष, सुश्री प्रीति मौर्य, सुश्री प्रिया शर्मा शामिल थे।
महाविद्यालय की छात्राओं ने भी उत्साहपूर्वक सहभागिता कर गुरुजनों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। यह आयोजन न केवल एक सांस्कृतिक श्रद्धांजलि था, बल्कि गुरु-शिष्य परंपरा की गौरवपूर्ण विरासत को सम्मानित करने का माध्यम भी बना।
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