आयुष्मान मित्रों की नौकरी पर संकट | RTI में खुला बड़ा राज़, राज्यों में वेतन-प्रोत्साहन की भारी असमानता

चंडीगढ़

देशभर के अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना (PMJAY) की रीढ़ माने जाने वाले आयुष्मान मित्र (Ayushman Mitra) खुद असुरक्षा और असमानता की मार झेल रहे हैं। डेमोक्रेटिक मेडिकल एसोसिएशन (DMA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अमित व्यास द्वारा दायर आरटीआई में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं—इन मित्रों की वेतन वृद्धि, प्रोत्साहन और कार्य-स्थितियों को लेकर कोई एकीकृत और पारदर्शी नीति मौजूद ही नहीं है।

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दरअसल, हरियाणा (Haryana) में जब स्टेट हेल्थ अथॉरिटी (SHA), पंचकूला से इस संबंध में जानकारी मांगी गई तो उसने जिम्मेदारी सीधे नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) पर डाल दी। वहीं, NHA ने अपने जवाब में साफ कर दिया कि आयुष्मान मित्रों से जुड़ी सभी जानकारी—वेतन, नियुक्ति, छुट्टियां और संख्या—सिर्फ राज्य स्तर की स्वास्थ्य एजेंसियों (SHA) के पास होती हैं

डॉ.अमित व्यास, राष्ट्रीय अध्यक्ष, डेमोक्रेटिक मेडिकल एसोसिएशन (DMA)

डॉ. व्यास की पहल

डॉ. व्यास ने इस मुद्दे को बार-बार उठाया है।

  • 30 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा।

  • 05 मार्च को स्वास्थ्य मंत्री कुमारी आरती सिंह राव से चंडीगढ़ सचिवालय में मुलाकात।

  • 25 अप्रैल को आयुष्मान योजना की मुख्य अधिकारी संगीता तेतरवाल से पंचकूला में सीधी बातचीत की।

आरटीआई से निकले तीन बड़े तथ्य

  1. दिशानिर्देश – योजना भले NHA की गाइडलाइन्स से चल रही है, लेकिन राज्यवार नीतियों में भारी फर्क है।

  2. वेतन व प्रोत्साहन – मानदेय तय करने और वेतन वृद्धि की जिम्मेदारी पूरी तरह राज्यों पर है।

  3. कार्य-स्थितियां – अंशकालिक नियुक्ति, कार्य-घंटे और अवकाश नीति भी SHA ही तय करती है।

स्पष्ट है कि देश के अलग-अलग राज्यों में आयुष्मान मित्रों के लिए न तो समान वेतन है, न ही समान सुविधाएं। ये मित्र जहां मरीज और अस्पतालों के बीच जीवनरेखा की तरह सेतु का काम करते हैं, वहीं खुद असुरक्षित और असमान हालात में काम करने को मजबूर हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि अब वक्त आ गया है जब केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर統 एकीकृत और पारदर्शी नीति बनानी होगी, वहीं हरियाणा सरकार को भी अड़ियल रुख छोड़कर तुरंत न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करना चाहिए।

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