राजस्थान (Rajasthan) में भ्रष्टाचार (Corruption) पर जीरो टॉलरेंस की सच्चाई सामने आई। ACB के 600+ भ्रष्टाचार केस अभियोजन (Prosecution) की मंजूरी न मिलने से फाइलों में अटके हैं।
जयपुर
राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही एसीबी की मुहिम को अंदर से ही पलीता लगाया जा रहा है। रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए अफसर-कर्मचारी कानून के कटघरे तक पहुँच ही नहीं पा रहे, क्योंकि उनके अपने ही विभाग अभियोजन की इजाजत देने से बचते फिर रहे हैं। नतीजा—भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की सरकारी घोषणा कागजों में दम तोड़ रही है और 600 से ज्यादा केस न्याय के दरवाजे पर ही अटके पड़े हैं।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने जिन अफसरों और कर्मचारियों को सबूतों के साथ पकड़ा, उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की रफ्तार विभागीय अड़चनों में फंस गई है। प्रदेशभर में ऐसे 607 मामले अभियोजन स्वीकृति के इंतजार में हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 541 प्रकरण तीन महीने से भी ज्यादा समय से विभागों की अलमारियों में धूल खा रहे हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए एसीबी के महानिदेशक ने मुख्य सचिव वी. श्रीनिवासन को सख्त लहजे में विस्तृत पत्र लिखा है। पत्र में साफ कहा गया है कि यदि इन मामलों को प्राथमिकता से नहीं निपटाया गया, तो भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी कार्रवाई सिर्फ दिखावा बनकर रह जाएगी।
विभागवार स्थिति और भी डराने वाली है। सबसे खराब हाल स्वायत्त शासन विभाग का है, जहां नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं से जुड़े 142 भ्रष्टाचार मामलों में अब तक अभियोजन की अनुमति नहीं मिली। इसके बाद पंचायती राज विभाग में 51 मामले लंबित हैं। राजस्व, ऊर्जा, पुलिस और कार्मिक विभागों में भी दर्जनों केस फाइलों में कैद हैं, जिन पर कानून की मार नहीं पड़ पा रही।
इसी बीच एसीबी खुद संसाधनों की भारी कमी से जूझ रही है। ब्यूरो में लगभग 45 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। पुलिस इंस्पेक्टर के 106 स्वीकृत पदों में से 58 रिक्त हैं। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के 68 में से 28 और उप पुलिस अधीक्षक के 31 में से 6 पद खाली हैं। एसीबी डीजी का साफ कहना है कि यदि ये पद भरे जाएं, तो जांच की रफ्तार कई गुना बढ़ सकती है।
कुल मिलाकर हालात यह हैं कि एक तरफ एसीबी रिश्वतखोरों को पकड़ रही है, दूसरी तरफ सिस्टम ही उन्हें सजा तक पहुँचने से बचा रहा है। सवाल साफ है—क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई सच में गंभीर है, या फिर फाइलों के बोझ तले उसे जानबूझकर दबाया जा रहा है?
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