नई दिल्ली
देश की तीन लोकसभा सीट और 14 राज्यों की 30 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए। इन 30 में से सबसे ज्यादा 16 पर एनडीए, 8 पर कांग्रेस ने तो 4 पर तृणमूल ने कब्जा किया है। 2 सीट दूसरी पार्टियों के खाते में गई है। तीन लोकसभा सीटों में से एक पर शिवसेना, एक पर कांग्रेस तो एक पर बीजेपी जीती है।
भाजपा को हिमाचल में जोर का झटका लगा है क्योंकि वहां की तीनों विधानसभा सीटें और एक लोकसभा सीट कांग्रेस ने जीत ली है। इनमें से 7 सीटें बीजेपी ने और 9 उसके सहयोगियों ने जीती है। एनडीए पिछले चुनाव में जीती अपनी सिर्फ 4 सीटें ही बचाने में कामयाब रहा है। हालांकि, एनडीए ने 12 नई सीटें जीतीं हैं। हिमाचल में भाजपा को उपचुनाव के सभी सीटों पर पटखनी देकर कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी की है।
राजस्थान में भाजपा की हार पर पूर्व मुख़्यमंत्री वसुंधरा राजे का खेमा खुश नजर आ रहा है। राजस्थान में भी कांग्रेस ने भाजपा की गुटबाजी का पूरा फायदा उठाया और भाजपा का गढ़ कही जाने वाली धरियावाद सीट पर भी कब्जा कर लिया। इसके अलावा वल्लभनगर सीट से भी जीत हासिल की है। दिलचस्प बात ये है कि राजस्थान में भाजपा की हार पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का खेमा खुश नजर आ रहा है। वसुंधरा राजे का खेमा इस हार के बाद सक्रिय हो गया है।
राजस्थान में भाजपा की हार पर इस खेमे ने बयान जारी करने में देर नहीं लगाई। वसुंधरा खेमे के माने जाने वाले पूर्व संसदीय सचिव भवानी सिंह राजावत का पहला बयान आया। और धरियावद व वल्लभनगर चुनावों के परिणामों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हाईकमान अब भी बिना किसी देरी के पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को राजस्थान की कमान संभाल दे। नहीं तो जिस प्रकार इन उपचुनावों में पार्टी टक्कर में भी नहीं आ पाई, उसी तरह आगामी चुनावों में भी पार्टी की ऐसी दुर्गति होगी। और आने वाले समय में भी वह पिछड़ती चली जाएगी जो संगठन और कार्यकर्ता दोनों के लिए घातक होगा।
राजावत ने कहा कि यह वसुंधरा राजे का चमत्कारिक नेतृत्व ही था। जिससे हर चुनाव में जीते, विधानसभा चुनावों में एक बार 200 में से 120 और दूसरी बार 200 में से 163 सीटें जीतने का रिकाॅर्ड कायम किया। लगभग हर चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होता रहा। इस इतिहास को दोहराने के लिए प्रदेश की बागडोर वसुंधरा राजे को सौंपना अब जरूरी हो गया है।
इधर सूत्रों ने खबर दी है कि पार्टी ने राजावत के इस बयान को गंभीरता से लिया है और इसे सही नहीं माना है। राजनीतिक पंडित भवानी सिंह राजावत के इस बयान का यह मायने निकाल रहे हैं कि वसुंधरा राजे खेमा चाहता था कि उप चुनाव में भाजपा की हार हो और फिर वसुंधरा राजे को राजस्थान की कमान मिले। पार्टी में गुटबाजी का आलम ये था कि उपचुनाव में इस खेमे की कहीं सक्रियता नजर नहीं आई। इस बीच सूत्रों से ये खबर भी मिली है कि पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा. सतीश पूनिया को भी उप चुनाव में हार की बाद तालब किया है।
हिमाचल में कांग्रेस का डंका
हिमाचल प्रदेश की कुल 3 सीटों (फतेहपुर, जुब्बल कोटखाई, अर्की) में से भाजपा को सभी पर हार का सामना करना पड़ा है। यही नहीं अपनी जीती हुई कोटखाई की सीट भी उसने गंवा दी। यहां कांग्रेस प्रत्याशी रोहित ठाकुर को जीत मिली। रोहित ठाकुर को 29447 वोट मिले। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी चेतन बरागटा 23344 वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे। जबकि भाजपा प्रत्याशी नीलम सरैइक को महज 2584 वोट मिले और उनकी जमानत तक जब्त हो गई।
मंडी लोकसभा में भी हार
वहीं मंडी लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस की उम्मीदवार और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने जीत हासिल की है। यह सीट पहले भाजपा के ही कब्जे में थी और रामस्वरूप शर्मा के निधन के बाद खाली हुई थी।
मध्य प्रदेश में राहत
मध्य प्रदेश में भाजपा थोड़ा राहत महसू कर सकती है। यहां भाजपा के लिए स्थिति संतोषजनक रही है और पार्टी ने तीन में से दो सीटों, जोहट और पृथ्वीपुर पर जीत हासिल कर ली है। इसके अलावा रैगांव में वह सीट गंवाती दिख रही है, जहां बीते 31 सालों से वह काबिज थी। हालांकि खंडवा लोकसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार ज्ञानेश्वर पाटिल आगे चल रहे हैं।
बंगाल में जीती हुई सीटों पर भी हार
पश्चिम बंगाल में भी भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है और अपनी जीती हुई दो सीटें भी खोनी पड़ी हैं। तीन सीटों पर तृणमूल कांग्रेस की जीत का अंतर 1 लाख के करीब रहा है। इससे पता चलता है कि भाजपा को कितनी बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। दिनहाटा उपचुनाव में टीएमसी के उदयन गुहा ने 1,64,089 के रिकॉर्ड अंतर से जीत हासिल की, जबकि पार्टी के सोवन्देब चट्टोपाध्याय ने खरदाह से 93,832 मतों के अंतर से जीत हासिल की। बंगाल की गोसाबा सीट पर भी टीएमसी ने अपना कब्जा किया है।
असम से पांचों सीटों पर एनडीए की जीत, पूर्वोत्तर में भी परचम
असम की 5 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में से सभी पर एनडीए को जीत मिली है। इनमें से तीन पर भाजपा उतरी थी, जबकि दो सीटों पर उसकी सहयोगी पार्टी UPPL चुनावी समर में उतरी थी। पूर्वोत्तर भारत की कुल 10 सीटों के उपचुनाव में से सभी पर भाजपा या उसकी सहयोगी पार्टियों को जीत मिली है। वहीं आंध्र प्रदेश की बदवेल विधानसभा सीट से वाईएसआर कांग्रेस की कैंडिडेट डॉ. दसारी की जीत हुई है, जबकि कांग्रेस और भाजपा की जमानत तक जब्त हो गई है। बिहार विधानसभा उपचुनाव में कुशेश्वरस्थान और तारापुर से JDU ने जीत हासिल की है।
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