नई दिल्ली
रेलवे के लाखों कर्मचारी ऐसे हैं जो अपने कार्यस्थल पर स्वास्थ्य सम्बन्धी खतरों से जूझ रहे हैं। ये वो कर्मचारी हैं जो ट्रेक पर, कारखानों और अनुरक्षण शेड में कार्य कर रहे हैं। अपने कार्यस्थल पर काम करते हुए उनको डीजल निकास, शोर और कंपन के बीच स्वास्थ्य संबंधित चुनौतियां मिल रही हैं। लेकिन उनको इन सब चुनौतियों से निपटने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण नहीं मिल रहे।
ऐसे कर्मचारियों को प्राय: खांसी, सांस लेने में दिक्कत, एकाग्रता भंग, अनिद्रा और रक्त दबाव जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। ट्रैक पर काम करने वाले कर्मचारियों की समस्या सर्दी के दिनों में ज्यादा बढ़ जाती है। यही वजह है कि सर्दी शुरू होते ही पेट्रोलिंग के लिए प्राय: दो-दो कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है। स्थिति ये है कि अनुरक्षण कार्य के दौरान हर साल रेल पथ अनुरक्षक (गैंगमैन) के पद पर कार्यरत कर्मचारियों की मौत तक हो जाती है। देशभर में पिछले करीब आठ महीने में तीन दर्जन से ज्यादा गैंगमैन की ट्रैक पर काम करते समय मौत हो चुकी है।
गैंगमैनों की मौत की स्थिति
- 2016-17 – 86
- 2017-18- 103
- 2018-19-83
- 2019-20-94
- 2020-21-50
- 2021 से अब तक- करीब तीन दर्जन
दूसरी श्रेणी में करना पड़ रहा मर्ज
स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव यहां तक पड़ रहा है कि सेफ्टी श्रेणी के कर्मचारियों का काम तक बदलना पड़ रहा है। कई मंडलों में लोको पायलट और गार्ड को गंभीर बीमाारियां होने के कारण दफ्तर का कार्य कराया जा रहा है। यानी उनको दूसरी श्रेणी में मर्ज किया जा रहा है। कई रनिंग कर्मचारियों को दूसरे विभागों में शिफ्ट करना पड़ा है। रेलवे में अनिद्रा और रक्त दवाब के कारण मधुमेह और उच्च रक्तचाप से ग्रसित कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है।

दो-दो ट्रेकमैन पेट्रोलिंग करते हैं, लेकिन प्रतिकूल मौसम से बचाव के लिए मिलने वाले जूते, रेनकोट और अन्य सामान की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें आती हैं। ट्रेक पर कर्मचारी विपरीत परिस्थितियों में कार्य करते हैं। रेलवे यूनियन कई बार इस मुद्दे को उठा चुकी हैं, लेकिन ऐसी शिकायतों का निवारण नहीं हो रहा।
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