लखनऊ
एक सरकारी बैंक में एक संस्था की ओर से जमा कराई गई 48 करोड़ की रकम में से दस करोड़ की हेराफेरी करने का मामला सामने आया है। इस मामले में बैंक के प्रबंधक को निलंबित कर दिया गया है और पुलिस में मामला दर्ज करा दिया गया है। साथ में बैंक प्रबंधन भी अपनी आंतरिक जांच करने में लगा है। जिस संस्था का मामला है उसके एक कार्मिक के खिलाफ भी एक्शन लिया गया है।
गबन का यह मामला उत्तर प्रदेश की बैंक ऑफ बड़ौदा की रोशनबाद लखनऊ पूर्वी शाखा का है। दरअसल इस बैंक में UP की अंबेडकर पार्क स्मारक समिति ने पूर्व मुख़्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में स्मारकों, संग्राहलयों, संस्थाओं, पार्कों और उपवनों के लिए 48 करोड़ की FD कराईं थीं। इसी में दस करोड़ की हेराफेरी का मामला सामने आया है। बैंक ऑफ बड़ौदा के महाप्रबंधक को भी पूरी स्थिति से अवगत करा दिया है। सूत्रों के मुताबिक इस खेल में बैंक के अन्य साथियों के साथ ही संस्थान के कर्मचारी की मिलीभगत सामने आ रही है। बैंक प्रबंधक नागेंद्र पाल की निलंबित कर दिया गया है।
समिति के मुख्य प्रबंधक और एलडीए सचिव पवन गंगवार ने बैंक के शाखा प्रबंधक नागेंद्र पाल सहित दो के खिलाफ गोमती नगर थाने में एफआईआर दर्ज करते हुए बताया कि जाली दस्तावेज का उपयोग कर शाखा प्रबंधक की मिलीभगत से किसी अन्य के व्यक्तिगत खाते में 10 करोड़ की राशि जमा की गई। बैंक ने इस राशि को अभी तक संस्थान को नहीं लौटाया।
एफआईआर में कहा गया है कि 31 मार्च को समिति ने तीन साल एक महीने की एफडी के लिए बैंक की रोशनाबाद शाखा को 48 करोड़ रुपए संस्थान (अंबेडकर पार्क स्मारक समिति) के मुख्य प्रबंधक और प्रबंधक वित्त देवेंद्र मणि उपाध्याय के संयुक्त हस्ताक्षर से ट्रांसफर की गई। जबकि 28 मई, 2021 तक केवल 38 करोड़ के ही जरूरी प्रपत्र बैंक ने समिति को दिए।
ऐसे की गई हेराफेरी
आरोप लगाया है कि शाखा प्रबंधक ने कृष्ण मोहन श्रीवास्तव (सहायक लेखाकार) नाम का एक फर्जी शख्स खड़ा करके खातों से पैसा निकलवा लिया। दिलचस्प ये है कि बैंक प्रबंधक नागेंद्र पाल ने पांच अप्रेल 2021 को भेजे गए संस्थान के एक कथित पत्र का संदर्भ देते हुए कहा कि खाता खोलने के लिए कृष्ण मोहन श्रीवास्तव को अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता के रूप में नामित किया गया है। जबकि हकीकत ये है कि इस नाम का कोई शख्स स्मारक समिति में है ही नहीं। ऐसे में गलत आदमी को दिखाकर और कूटरचित दस्तावेजों को तैयार करवाकर फर्जी हस्ताक्षरों से दस करोड़ उन्नीस लाख रुपए खाते से निकाल लिए गए। मोबाइल नंबर, आइडी नंबर फर्जी प्रयोग किए गए हैं।
पहले पीएनबी से बैंक ऑफ बड़ौदा में स्थानांतरित की गई थी राशि
एलडीए सचिव पवन कुमार गंगवार ने बताया कि यह 48 करोड़ की राशि ऑनलाइन पीएनबी से बैंक ऑफ बड़ौदा में स्थानांतरित की गई थी। बैंक प्रबंधक को बताया गया था कि 48 करोड़ की चौबीस एफडी दो-दो करोड़ की करनी है। यह सभी एफडी उस वक्त सबसे अधिक ब्याज दर को देखकर तीन वर्ष एक माह के लिए की गई थी। 31 मार्च 2021 को बैंक से एफडी लेनी थी, बैंक प्रबंधक ने 37,99,99,981 रुपए की एफडी बनाकर कई महीनों में दी, लेकिन दस करोड़ उन्नीस रुपए की एफडी नहीं दी। 12 अगस्त 2021 को मुख्य प्रबंधक ने पूरी स्थित से अवगत कराते हुए बैंक प्रबंधक को पत्र लिखा।
समिति में नहीं मिला कृष्णमोहन श्रीवास्तव नाम का कोई कर्मचारी
स्मारक समिति में कृष्णमोहन श्रीवास्तव नाम का कोई कर्मचारी नहीं मिला है। समिति के अधिकारियों का कहना है कि सहायक लेखाकार ही नहीं किसी भी पद पर इस नाम से कोई कर्मचारी नहीं तैनात है। वहीं जिस पांच अप्रैल की बैठक का जिक्र किया गया है। उस दिन कोई बैठक नहीं हुई थी।
सभी एफडी की जांच के लिए समिति बनी
इस बीच एफडी समय से न लेने के कारण लविप्रा उपाध्यक्ष व स्मारक समिति के सदस्य सचिव अक्षय त्रिपाठी ने देवेंद्र मणि उपाध्याय प्रबंधक वित्त स्मारक समिति की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई सदस्य सचिव व एलडीए वीसी अक्षय त्रिपाठी ने समय से एफडी का मिलान नहीं करने के चलते की है। वहीं, स्मारक समिति की सभी एफडी की जांच के लिए वित्त नियंत्रक की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है।
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