एक करोड़ का सैलरी घोटाला, खाते में ट्रांसफर करते थे सैलरी से ज्यादा रकम, फिर होती बंदरबांट, दो गिरफ्तार

चंडीगढ़ 

अपने कर्मचारियों के खाते में फर्जी तरीके से ज्यादा वेतन देकर वापस अपने खाते में रकम जमा करवाने का एक घोटाला सामने आया है। इस मामले में क्राइम ब्रांच ने वेतन विभाग के तत्कालीन प्रभारी और एक होमगार्ड को गिरफ्तार किया है। दोनों पर आरोप है कि इन्होंने 1.1 करोड़ रुपए का वेतन घोटाला किया है।

मामला चंडीगढ़ यूटी (यूनियन टैरेटरी) पुलिस का है। आरोपियों की पहचान विभाग के तत्कालीन प्रभारी बलविंदर सिंह (जूनियर असिस्टेंट, पुलिस विभाग) और होमगार्ड सुरजीत सिंह के रूप में की गई है। क्राइम ब्रांच ने दोनों को जिला अदालत में पेश कर रिमांड हासिल किया है। क्राइम ब्रांच दोनों आरोपियों से पूछताछ करने में जुटी हुई है।

स्पेशल ऑडिट के बाद पकड़ में आया घोटाला
सूत्रों के अनुसार आरोपी मुलाजिमों के खातों में ज्यादा सैलरी डालने के बाद उनसे बाकी की रकम अपने खातों में जमा करा लेते थे। आरोप है कि गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी कर्मचारियों ने पुलिसकर्मियों के नाम से फर्जी बिल, एरियर बनाकर सरकारी खजाने को 1 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया। ब्रांच में हुई इस जालसाजी की शिकायत पिछले साल की गई जिसके बाद शिकायत पर ऑडिट  कराई। 

मामले में परत दर परत खोलने के लिए स्पेशल ऑडिट कराया गया था। जिसकी करीब 10 दिन पहले ऑडिट खत्म होने के बाद रिपोर्ट सामने आई है। ऑडिट रिपोर्ट और सामने आए अन्य तथ्यों  के आधार पर क्राइम ब्रांच ने जूनियर अस्सिस्टेंट बलबिंद्र सिह और होमगार्ड जवान सुरजीत सिंह को गिरफ्तार किया।

ऐसे किया घोटाला
जांच के दौरान सामने आया कि दोनों आरोपियों के द्वारा तैयार कराए गए फर्जी कागजात पर इन्हीं के हस्ताक्षर हो रखे हैं। जिसके बाद क्राइम ब्रांच ने सुरजीत को एक दिन और बलविंदर सिंह को 3 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया है। पुलिस सूत्रों की मानें तो आरोपियों के इस काम में 2अन्य लोगों ने भी साथ दिया है। जिन्हें बहुत जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

जांच में सामने आया है कि विभाग के सैकड़ों पुलिसकर्मियों के खातों में हर महीने निर्धारित सैलरी से ज्यादा रकम ट्रांसफर किया जाता है। इसके बाद पैसा पास करने वाले बाबुओं के साथ रकम का बंटवारा हो जाता था।

ऐसे हुआ घोटाला
पुलिस के अकाउंट्स डिपार्टमेंट ने चुपचाप पुलिसकर्मियों की सर्विस बुक अपने पास मंगवानी शुरू कर दी। सर्विस बुक मंगवाने के बाद उसी में जाली बिल बनाकर, बिल पास करवाकर, पैसे निकलवाकर और रिकार्ड सर्विस बुक में लगाकर सर्विस बुक वापस ब्रांच में भेज दी जाती थी। कायदे के मुताबिक गजटेड अफसर के नीचे सर्विस बुक मंगवाई ही नहीं जा सकती। साफ है कि पुलिस में कार्यरत सैकड़ों पुलिसकर्मियों के साथ धोखाधड़ी हुई।

यह थी शिकायत
फाइनेंस सेक्रेटरी और डीजीपी बेनीवाल को किसी ने शिकायत भेजी थी। पुलिस में गए अकाउंट्स के बड़े बाबू जिसमें एसओ अकाउंट्स का जिक्र किया गया। शिकायत में लिखा गया था कि पुलिस मुलाजिमों के जाली बिल एलटीए बनाकर लाखों का घोटाला किया गया। पुलिसकर्मियों के अकाउंट्स में ज्यादा सैलरी डाली गई। बाद में पैसा आपस में बांटा जाता रहा।

क्या आपने ये खबरें भी पढ़ीं?