जयपुर
राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को वह आदेश दिया जिसने पूरे शिक्षा तंत्र की नींव हिला दी। अदालत ने राज्य के सरकारी स्कूलों के 86,000 से ज्यादा जर्जर क्लासरूम में पढ़ाई और बच्चों की एंट्री पर सख्त पाबंदी लगा दी है। हाईकोर्ट ने साफ निर्देश दिया है कि इन खंडहर जैसे क्लासरूम पर ताला जड़ दिया जाए और बच्चों को आसपास भी फटकने न दिया जाए।
झालावाड़ में 25 जुलाई को स्कूल बिल्डिंग ढहने से सात मासूमों की मौत के बाद हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में स्वत: संज्ञान लिया था। अदालत ने सरकार की रिपोर्ट देखी तो सच्चाई चौंकाने वाली निकली —
राजस्थान के 63,018 सरकारी स्कूलों में कुल 5.26 लाख क्लासरूम हैं।
इनमें से 86,934 क्लासरूम पूरी तरह जर्जर और असुरक्षित घोषित किए गए।
सिर्फ 1.91 लाख क्लासरूम ही सुरक्षित हैं।
29,093 क्लासरूम तुरंत मरम्मत की स्थिति में हैं।
और सबसे डरावना सच — 5,667 स्कूल ऐसे हैं जिनकी पूरी इमारत ही खंडहर हो चुकी है।
हाईकोर्ट ने कहा, “अगर किसी स्कूल के सभी क्लासरूम खस्ताहाल हैं, तो बच्चों की पढ़ाई की वैकल्पिक व्यवस्था तुरंत की जाए। यह जिम्मेदारी सीधे शिक्षा विभाग की होगी।”
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी अदालत को आगाह किया कि झालावाड़ के बाद जैसलमेर, टोंक, बारा, बूंदी और प्रतापगढ़ जैसे जिलों में भी स्कूल इमारतें गिर रही हैं। आयोग ने इसे बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर खतरा बताया।
अब अदालत ने राजस्थान सरकार से पूछा है कि आखिर क्या इंतजाम किए जा रहे हैं ताकि बच्चों की पढ़ाई भी न रुके और हादसे भी न हों। केंद्र सरकार से भी गाइडलाइनों पर जवाब मांगा गया है।
यह मामला अब 4 सितंबर को फिर से हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में सुना जाएगा।
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