भरतपुर
भरतपुर नगर निगम में सफाई व्यवस्था पर खर्चे को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। पार्षदों का विरोध इस बात को लेकर है कि जब शहर की सफाई दस करोड़ में हो सकती है तो फिर फिर नगर निगम 25 करोड़ क्यों खर्च करना चाहता है। पार्षदों का आरोप है कि सफाई की आड़ में कमीशन के रस्ते खोले जा रहे हैं। इसे लेकर पार्षद निगम के महापौर अभिजीत कुमार पर अंगुली उठा रहे हैं।

इस मुद्दे को लेकर भरतपुर बचाओ संघर्ष समिति ने एक पत्रकार वार्ता की और इस बारे में मीडिया के सामने तथ्य रखे। समिति के अध्यक्ष हरभान सिंह ने महापौर अभिजीत कुमार सफाई को लेकर गलत और झूठे तथ्य पेश करके आमजन को भ्रमित व गुमराह करने का आरोप लगाया।
हरभान सिंह ने कहा कि मेयर अभिजीत कुमार लोगों को धोखा दे रहे हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार के लिए हठधर्मिता का रवैया अपना रखा है। करीब 10 करोड़ रुपए सालाना में हो रही सफाई की एवज में करीब 25 करोड़ रुपए सालाना खर्च करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इसका सभी दलों के पार्षद विरोध हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि महापौर ने विरोध करने वाले पार्षदों के वार्डों में विकास कार्य रोक दिए हैं।
सफाई व्यवस्था के निजीकरण के प्रयास, पार्षद करेंगे विरोध
हरभान सिंह ने आरोप लगाया कि पिछले तीन माह से नगर निगम मेयर लगातार इस प्रयास में लगे हुए हैं कि किसी भी तरह शहर की सफाई हेतु निजीकरण किया जाए। जिससे उन्हें प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिल सके। प्रेस वार्ता में पार्षदों ने आरोप लगाया कि आज तक भरतपुर के अनेकों वार्डो का मेयर ने भ्रमण तक नहीं किया तो वो शहर की स्थिति से कैसे परिचित हो गए। पार्षदों ने मेयर पर सीधे-सीधे भ्रष्टाचार व हठधर्मता का आरोप लगाते हुए खिलाफ लड़ रहे पार्षदों के वार्डो में विकास के कार्यों पर रोक लगाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मेयर द्वारा सिर्फ उन्हीं के वार्डो में कार्य करवाए जाएंगे जो उनके इस प्रस्ताव में शामिल होकर उन्हें समर्थन देंगे।
हरभान सिंह ने कहा कि नगर निगम द्वारा स्थानीय कर्मचारियों से जो कार्य 8-10 करोड़ में हो रहा है वह निजीकरण के बाद 22 से 25 करोड़ में होगा, जिसका भार भरतपुर की जनता पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मेयर ने वार्ता में कहा था कि जनता पर कोई भार नहीं पड़ेगा जबकि डीपीआर में यह स्पष्ट किया गया है कि इसका खर्च घरेलू, व्यावसायिक संस्थानों को देना होगा।

चाहते पार्षदों को चंडीगढ़ घूमने ले गए मेयर
मेयर द्वारा 27 जुलाई को चंडीगढ़ के भ्रमण अपने पसंदीदा पार्षदों के साथ बिना अनुमति के किया गया, जबकि अनुमति पत्र दिनांक 11.08.2021 को प्राप्त हुआ। इस परिस्थिति में यात्रा का व्यय भार किसके द्वारा किया गया जिसका आज तक कोई लेखा जोखा नहीं है। हरभान सिंह ने सवाल खड़ा किया कि जब मेयर भरतपुर की सफाई पर शंका थी तो पूर्व में कार्य कर रहे ठेकेदारों को दो वर्ष से ही क्यों भुगतान किया जा रहा है और न ही किसी भी प्रकार के कोई संशोधन के प्रयास किए गए। इससे साफ है कि 10 करोड़ से 25 करोड़ तक खर्च बढ़ाने में सीधा-सीधा भ्रष्टाचार सामने आ रहा है। इससे पूर्व में भी मशीन से सफाई कराने हेतु निगम द्वारा कुछ साधन क्रय किए गए थे। जो बरसात में नष्ट हो गए लेकिन सफाई कार्य नहीं कर पाए। पार्षदों ने कहा कि निजीकरण के बाद कम्पनी की मनमानी होगी जिसका खामियाजा भरतपुर की जनता को भुगतना पड़ेगा।
हरभान सिंह ने कहा कि नगर निगम के प्रस्ताव संख्या 69 के तहत यह निर्णय लिया गया कि इन्टीग्रेटेड सफाई व्यवस्था के अध्ययन हेतु 21 पार्षदों की कमेटी बनाकर उन शहरों में भेजा जाएगा जहां इसी तरह की व्यवस्था पर कार्य हो रहा होगा जबकि मेयर भरतपुर ने न ही किसी कमेटी को बनाया और न ही किसी ऐसे शहर का चयन कर पाए जो भरतपुर के समतुल्य हो। ये सब शहर के साथ धोखा है। उन्होंने कहा कि जनता पूर्व में बिजली के निजीकरण से आज तक पीड़ित है। इस मंहगाई और कोरोना ने लोगों की कमर तोड़ दी है। व्यापार धंधे चौपट हो गए हैं। इस स्थिति में लोगों पर सफाई का भार के साथ में वाल्मीकि समाज में निश्चित ही बेरोजगार बढ़ेगी जिसका प्रभाव आगामी भविष्य में देखने को मिलेगा। मीटिंग में कांग्रेस, भाजपा, निर्दलीय सहित लगभग 35 पार्षद उपस्थित रहे।
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