केसू बड़े कमल के फूल मेरी झांझी ऐ ब्याहन आए

झांझी शब्द, सांझी का अपभ्रंश है या कि नहीं यह मेरे लिए यक्षप्रश्न है ? मेरा बचपन अटूट ब्रज संस्कृति से पोषित है । कल अमावस के अपराह्न, संध्या से पूर्व ही हमारे यहाॅं दीवार पर गाय के