‘समस्याएं और ट्रैफिक’

ये जीवन की छोटी बड़ी समस्याएं,
और सड़क का ट्रैफिक,
बिल्कुल समान है एक दूसरे के,
निकलते ही घर से,
देखती हूं दूर से,

घरों से लुप्त होते रसोईघर…

आइये मेरे साथ कुछ कदम पीछे, एक यादों का झरोखा खोलकर देखिए जो आपको ज्यादा नहीं 20-25 साल पीछे ले जा सके। दादी नानी का घर जिसमें बड़ा सा दालान या

दंश…

कैसी हो अपेक्षा? बाहर निकली तो किराएदार सामने पड़ गई। ‘अच्छी हूं भाभी; आज फिर देर हो गई ऑफिस को …