नई दिल्ली | नई हवा ब्यूरो
रेलवे के काम में बराबर लापरवाही बरत रहे अफसरों और कर्मचारियों को एकबार फिर बड़ा सख्त सन्देश देते हुए उसने एक ही दिन में 19 नाकारा अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया। इनमें दस अफसर तो जॉइंट सेक्रेटरी (Joint Secretary) स्तर के हैं।
सूत्र बता रहे हैं कि अभी एक और सूची तैयार हो रही है। यह सूची जून या जुलाई में सामने आ सकती है। रेलवे की सख्ती से नाकारा अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है। सब इसका इन्तजार कर रहे हैं कि अब किसका नंबर आएगा।
हाल ही में एक ही दिन में 19 सीनियर अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया गया। रेलवे ने सीसीएस रूल 56(J) के तहत यह कार्रवाई की है। इस नियम के तहत किसी सरकारी कर्मचारी को न्यूनतम तीन महीने का नोटिस देकर या इस अवधि का वेतन देकर रिटायर किया जा सकता है।
‘काम करो या घर बैठो’
जुलाई में रेल मंत्री बनने के बाद अश्विनी वैष्णव (Railway Minister Ashwini Vaishnaw) ने अधिकारियों से साफ कहा था कि काम करो या घर बैठो। इसके बाद से कर्मचारियों और अधिकारियों की वर्किंग पर पैनी नजर रखना शुरू हो गया है। रेल मंत्री के 11 महीने के कार्यकाल में 96 अधिकारियों को जबरन रिटायर किया जा चुका है।बताया गया कि रेलवे ने इस नीति पर और सख्ती बरतते हुए एक ही दिन में ऐसे लापरवाह 19 अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया। सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे कर्मचारियों से जल्दी से जल्दी निजात पाना चाहती है और इसी प्रयास के तहत यह कार्रवाई की गई है।
जिन 19 अधिकारियों को रिटायर किया गया है उनमें इलेक्ट्रिकल एवं सिग्नल सेवाओं के चार-चार अधिकारी, मेडिकल एवं सिविल से तीन-तीन अधिकारी, कार्मिक से दो, स्टोर, यातायात एवं मेकेनिकल से एक-एक अधिकारी शामिल हैं। ये अधिकारी रेलवे के उपक्रमों जैसे पश्चिम रेलवे, मध्य रेलवे, पूर्व रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर रेलवे, सैंडकोच फैक्टरी कपूरथला, माडर्न कोच फैक्टरी, रायबरेली आदि से हैं।
11 महीने में 96 की छुट्टी
अश्विनी वैष्णव के रेल मंत्री बनने के बाद नौ महीने में 77 अधिकारियों को वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृति) दे दिया गया था। इनमें महाप्रबंधक एवं सचिव जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं। मूलभूत नियमावली (एफआर) और सीसीएस (पेंशन) नियमावली, 1972 में समयपूर्व रिटायर से जुड़े प्रावधानों के तहत उपयुक्त प्राधिकार को किसी सरकारी कर्मी को सेवानिवृत करने का पूर्ण अधिकार है। यदि ऐसा करना जन हित में जरूरी है। रेलवे ने 2019 में भी 50 साल से अधिक उम्र के 32 अधिकारियों को समय से पहले रिटायर कर दिया था।
रेल मंत्री का साफ कहना है कि ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है जो काम नहीं करते हैं और भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उनका कहना है कि ऐसे अधिकारियों को वीआरएस ले लेना चाहिए, नहीं तो उन्हें बाहर का दरवाजा दिखा दिया जाएगा। जिन अधिकारियों का सकारात्मक रवैया है और जो काम करने को तैयार हैं, उन्हें इनाम दिया जा रहा है।
कामकाज पर करीबी नजर
केवल जनवरी में 11 अधिकारियों ने वीआरएस ले लिया था। रेलवे के विभिन्न जोन में काम करने वाले सीनियर इंजीनियर्स ने कहा कि उन पर परफॉर्म करने का दबाव बढ़ गया है और मंत्रालय ने उनके लिए मुश्किल टारगेट रखे हैं। रेलवे मेंचीजों पर करीबी नजर रखी जा रही है। कुछ लोगों ने इसलिए भी वीआरएस लिया क्योंकि उन्हें ड्यू प्रमोशन नहीं मिला।
ये है नौकरी से निकालने का नियम
फंडामेंटल रूट (एफआर) के सेक्शन-56 (जे) के तहत सरकार किसी भी अधिकारी को नौकरी से निकाल सकती है। इस प्रक्रिया के तहत रिटायर किए गए अधिकारी को दो से तीन महीने का वेतन दिया जाता है। पेंशन व अन्य देय का लाभ भी दिया जाता है। दूसरी ओर वीआरएस योजना में कर्मचारी को नौकरी के बचे हुए साल के हिसाब से प्रति वर्ष दो माह के हिसाब से वेतन दिया जाता है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति में यह लाभ नहीं मिलता है। आगे भी वीआरएस देने के लिए अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा की जा रही है।
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