भुसावर
सिलिकोसिस पीड़ित ज्ञान सिंह (पुत्र मिटठन लाल जाटव), बड़ा मोहल्ला भुसावर (Bhusawar) में लंबे समय से बीमार थे। बीमारी ने उनके शरीर से जान तो छीनी ही, परिवार की उम्मीद भी धीरे-धीरे खत्म होती चली गई। घर में कोई कमाने वाला नहीं, पत्नी और छोटे-छोटे बच्चों के सामने रोज़मर्रा चलाना ही बड़ा संघर्ष था।
और अब जब ज्ञान सिंह ने अंतिम सांस ली — परिवार के सामने अंतिम संस्कार तक कराने की सामर्थ्य नहीं थी। स्थिति इतनी दयनीय कि चिता की लकड़ी तक खरीदना संभव नहीं था।
पड़ोसियों ने हालात को ‘मुस्कान एक पहल’ संस्था तक पहुँचाया। संस्था के संस्थापक अरविंद मित्तल ने बताया कि संस्था के 13 सामाजिक प्रकल्पों में से एक ‘निर्धन का अंतिम संस्कार’ भी शामिल है, जिसमें संपूर्ण दाह-संस्कार सामग्री उपलब्ध कराई जाती है।
संस्था ने समाज के एक गुप्त दानदाता से संपर्क किया। दानदाता ने एक ही बात कही:
“करने वाला और करवाने वाला परमात्मा है…
हम सिर्फ माध्यम हैं।
मेरा नाम उजागर मत करना।”
दानदाता ने अंतिम संस्कार में लगने वाले सभी खर्च की जिम्मेदारी तुरंत उठाई। संस्था ने लकड़ी और आवश्यक सामग्री परिवार को उपलब्ध करवा दी। इस दौरान पार्षद अमर सिंह, पूर्व पार्षद सुंदर लाल, नाहर सिंह, लोकेश आदि ने भी सहयोग दिया।
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