भरतपुर
दीपावली से पहले जहां हर शहर रोशनी से जगमगाने की तैयारी में है, वहीं भरतपुर की गलियां इस बार अंधेरे में कराह रही हैं। नगर निगम की लापरवाही के चलते शहर की अधिकांश कॉलोनियों में स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी हैं। पुरानी लाइटों की मरम्मत नहीं हो रही, नई लग नहीं रही — शिकायतें दर्ज हैं लेकिन कार्रवाई शून्य।
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वार्ड 43 के निवर्तमान पार्षद दीपक मुदगल ने निगम प्रशासन पर तीखा आरोप लगाते हुए कहा कि “हर साल दीवाली पर शहर रोशनी से नहा उठता था, लेकिन इस बार अधिकारी फोन तक नहीं उठा रहे।”
नगर निगम और पार्षदों के बीच संवाद के लिए बनाए गए निगम व्हाट्सएप ग्रुप में भी अब कोई जवाबदेही नहीं दिख रही। अंधेरे का असर अब कानून-व्यवस्था पर भी पड़ रहा है।
मुदगल ने बताया कि दो महीने पहले जवाहर नगर कॉलोनी में चोरों ने अंधेरे का फायदा उठाकर एक कार के चारों पहिए उड़ा लिए। 15 दिन पहले उसी गली में बदमाशों ने एक व्यापारी को गोली मार दी और फरार हो गए।
दोनों घटनाओं के बाद खराब लाइटों की शिकायत दर्ज हुई, मगर स्थिति जस की तस है। शिकायतें रजिस्टर में दर्ज कर कुछ दिन बाद “संपन्न” बताकर काट दी जाती हैं।
मुदगल ने कहा, “सरकार तो सुविधाओं के लिए फंड दे रही है, लेकिन निगम प्रशासन की उदासीनता जनता के लिए मुसीबत बन गई है। अस्थायी रोशनी के नाम पर चौराहों पर 80 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जबकि इन पैसों से वार्डों में स्थायी लाइटें लगाई जातीं तो हर दिन दीवाली सा माहौल होता।”
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि निगम ने दिवाली से पहले व्यवस्था नहीं सुधारी, तो वह सरकार को रिपोर्ट भेजकर खर्च की जांच की मांग करेंगे।
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