भरतपुर/ कैथल
हरियाणा के कैथल में एक मां को करीब 10 साल बाद उसका बिछड़ा कलेजे का टुकड़ा मिल गया। बेटे को देख मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और अपने बेटे को देख कर बिलख पड़ी। एक दूसरे को देखकर मां और बेटे दोनों की आंखों से आंसू छलक पड़े। मां-बेटे को यह खुशियां भरतपुर के ‘अपना घर’ आश्रम ने लौटाई है। यहां वे लोग रहते हैं जो असहाय होते हैं।
दरअसल कैथल की कमल कॉलोनी का रहने वाला सनी 15 साल पहले पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया गया था। लेकिन जब वह घर वापस आया तो वह मानसिक रूप से विकलांग हो चुका था। इसी के चलते एक दिन वह घर से निकला और वापस नहीं आया। इस बीच सनी भटकते-भटकते राजस्थान पहुंच गया जहां वह भरतपुर के ‘अपना घर’ आश्रम के संचालकों के सम्पर्क में आया। आश्रम संचालक सनी को अपना घर में ले आए और दस साल तक उसकी देखभाल की और मानसिक विकलांगता का इलाज कराया। इससे सनी ठीक होने लगा। तब उसने उसने अपना घर संचालकों को बताया कि वह हरियाणा के कैथल का रहने वाला है।
बस, इतना क्लू मिलते ही आश्रम के संचालकों ने सनी के परिवार को कैथल में ढूंढ़ना शुरू किया और फिर इसमें उनको कामयाबी मिल गई। और पुलिस की मदद से उसके घर में संपर्क किया। जैसे ही सनी की मां रविंद्र कौर को पता लगा कि उनका बेटा ‘अपना घर’ आश्रम भरतपुर में है तो वो फ़ौरन अपना घर पहुंची और दस साल बाद अपने बेटे को देख रो पड़ीं और अपने बेटे सनी को अपने साथ घर ले आई।
होनहार था सनी
सनी की मां रविंद्र कौर ने बताया कि उनका बेटा पढ़ने में बहुत होशियार था। इसलिए पढ़ाई के लिए उसे ऑस्ट्रेलिया भेजा था। लेकिन जब वह घर आया तो उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी। वह अचानक से घर से चला गया और वापस ही नहीं आया। उन्होंने कहा, ‘हमने सनी को खोजने के लिए हर मंदिर और गुरुद्वारों में जाकर तलाश की, लेकिन उसका कुछ पता नहीं लग पाया।
पिता का निधन हो गया, बहन की शादी हो गई
सनी की मां रविंद्र कौर ने बताया कि इन दस सालों के दौरान सनी के पिता का भी निधन हो गया। पिता भी देहांत से पहले इसी उम्मीद में थे कि उनका बेटा शायद वापस आ जाए। रविंद्र कौर ने बताया, ‘इस बीच सनी की बहन की भी शादी हो गई। अब जब मेरा बेटा मुझे मिल गया है तो मैं अपनी खुशी व्यक्त नहीं कर पा रही हूं।‘ वहीं, सनी भी अपनी मां से मिलकर बहुत खुश हुआ। एक दूसरे को देखकर मां और बेटे दोनों की आंखों से आंसू छलक पड़े।
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