उदयपुर
कृषि मशीनरी में नवाचारों के लिए बौद्धिक सम्पदा अधिकारों (आईपीआर) की चुनौतियों पर राष्ट्रीय वेबिनार वेबिनार का आयोजन अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना फार्म इम्प्लीमेन्ट्स एण्ड मशीनरी और अभ्यास, प्रकाशन और पेटेन्ट सुविधा प्रकोष्ठ महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा किया गया।
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डाॅ. एन.एस.राठौड़ ने आज के युग में बौद्धिक सम्पदा अधिकारों की आवश्यकता पर बल दिया एवं विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में अवगत कराया। इस वेबिनार में तैयार की गई बौद्धिक सम्पदा प्रबन्धन/ प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण और व्यवसायिकरण के लिए दिशा निर्देशों का विमोचन किया।
राठौड़ ने अपने व्यक्तिगत अनुभव एवं बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के उपयोग एवं सम्पादन पर बात रखी।उन्होंने बताया कि हमें अपने नए संशोधनों के बौद्धिक सम्पदा अधिकार प्राप्त करना बहुत आवश्यक है जिससे हम हमारे संशोधनों को सुरक्षित कर पाएंगे। विश्वविद्यालय दिन ब दिन संशोधनों में ऊंचाइयां हासिल कर रहा है। ये सब हमारे विश्वविद्यालय के संशोधनकर्ताओं की मेहनत का फल है। कुलपति ने डा. माथुर के विश्वविद्यालय में किए गए कार्यों की प्रशंसा की।
केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल के निदेशक डा. सीआर मेहता ने कृषि मशीनरी में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला एवं कृषि मशीनरी के में अधिक से अधिक पेटेण्ट फाइल करने पर बल दिया। डा. मेहता ने बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के उपयोग के बारे में विस्तार से बताया एवं उसमें आने वाली त्रुटियों को बताया। उन्होंने कहा कि कृषि मशीनरी को उच्चस्तर प्राप्त करने के लिए बौद्धिक सम्पदा अधिकार बहुत कारागर है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राजन ने कृषि मशीनीकरण में पेटेण्ट लिखते समय आने वाली विभिन्न चुनौतियों पर प्रकाश डाला एवं पेटेण्ट फाइल करने के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम के अन्य वक्ता यशवंत देव पंवार ने पेटेण्ट फाईल करने के संबंध में भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में बताया एवं वैज्ञानिकों को इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम के आयोजक डा. एस एम माथुर ने बताया कि इस स्पष्ट दिशानिर्देशों के उपलब्ध होने पर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एवं अनुसंधानकर्ता सुचारू रूप से पेटेण्ट एवं काॅपीराइट फाइल कर सकेंगे जिससे कि विश्वविद्यालय को एक अन्तरराष्ट्रीय दर्जा दिलाया जा सकेगा। डा. माथुर ने बताया कि विगत दो वर्षो में विश्वविद्यालय को छः पेटेण्ट एवं एक डिजाइन रजिस्ट्रेशन प्राप्त हुआ है एवं विश्वविद्यालय द्वारा बारह पेटेण्ट के लिए आवेदन दाखिल किए गए।
प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डाॅ. पी के सिंह ने कार्यक्रम में उपस्थित वैज्ञानिकों एवं छात्रों का स्वागत किया एवं काॅलेज में चल रही आईपीआर से संबधित गतिविधियों के बारे में बताया। डा. एस के शर्मा, निदेशक, अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने वेबिनार के उद्देश्यों एवं विश्वविद्यालय में किए जा रहे नवाचारों के बारे में प्रकाश डाला एवं विश्वविद्यालय द्वारा फाइल किए पेटेण्ट के बारे में जानकारी दी।
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