प्रेरणा
राजेश खंडेलवाल
भरतपुर के अपनाघर आश्रम में अभी तक देश-विदेश के बड़े शहर व कस्बों से बसों व अन्य साधनों से तीर्थ यात्राएं आती रही हैं, लेकिन अब अन्य प्रदेशों के गांव से भी सेवाभावी अपना घर में तीर्थ के लिए आने लगे हैं। बिहार के समस्तीपुर जिले के गांव ढट्ठा से 43 सेवाभावी तीर्थ यात्री पहुंचे, जिनमें 34 महिला एवं 9 पुरुष शामिल रहे। उन्होंने यहां की सेवा से प्रभावित होकर रात्रि में ही मीटिंग कर गांव में अपनाघर बनाने का निर्णय भी किया। इसके लिए इस दल में आए सेवानिवृत वैद्य ने 4 कट्टा, रामदास ने 2 चार कट्टा एवं रमाकांत महतो ने एक चार कट्टा जमीन देने का संकल्प लिया तथा अन्य यात्रियों ने भी अपने-अपने स्तर पर सहयोग की बात कही।
समस्तीपुर जिले में अपनाघर आश्रम खोलने का प्रस्ताव मंजूर
खास बात यह है कि ये कोई धनवान नहीं हैं, लेकिन सेवा देखकर एवं इनके जिले के भरतपुर के अपनाघर में 20 प्रभुजन रह रहे हैं। उन्हें देखकर इनमें ऐसा भाव जाग्रत हुआ और इन्होंने अपनाघर भरतपुर के प्रबंधन के सामने गांव में ही अपनाघर बनाने का प्रस्ताव रख दिया, जिसे अपनाघर प्रबंधन ने स्वीकार कर लिया।
अपनाघर की सेवा को शब्दों में बयां नहीं कर सकते
वैद्य कामेश्वर प्रसाद एवं शकुंतला देवी ने बताया कि समस्तीपुर के सेवा भारती से जुड़े एक पदाधिकारी से अपनाघर आश्रम के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने बताया कि अपनाघर आश्रम की सेवा को देखने के बाद उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है।
आश्रम में रह रहे समस्तीपुर के ही 20 प्रभजनों से मिलाया
भरतपुर के अपनाघर आश्रम में उनके ही जिले के 20 प्रभुजन रह रहे हैं। इन तीर्थ यात्रियों की उनसे मुलाकात भी कराई गई तो उन्हें एक बार विश्वास ही नहीं हुआ। वे प्रभुजनों की सूची फोटो व पते सहित अपने साथ ले गए और कहा इनके परिजनों को व्यक्तिगत रूप से खोजेंगे। साथ ही स्थानीय समाचार पत्रों में इनके फोटो व पते जो अधूरे हैं, उन्हें प्रकाशित कराकर इनके परिजनों तक पहुंचने का प्रयास करेंगे।
जीव सेवा सदन में पंखे लगवाने को दिए 10 हजार 200 रुपए
भ्रमण के दौरान उन्होंने जीव सेवा को भी देखा। उन्होंने जीव सेवा सदन में अपनी तरफ से पंखा लगवाने के लिए 10 हजार 200 रुपए दिए तथा साथ में लाए सत्तू को प्रभुजनों की सेवा में सौंपा।
तीर्थयात्री मथुरा-वृंदावन के लिए हुए रवाना
ये यात्री रविवार को भरतपुर के अपनाघर आश्रम पहुंचे, जो बिहार के समस्तीपुर जिले के ढट्ठा गांव से 16 मई को रवाना हुए थे। ये सोमवार को भरतपुर के अपनाघर आश्रम से मथुरा-वृंदावन के लिए रवाना हो गए, जहां भगवान श्री कृष्ण और बांके बिहारी के दर्शन करेंगे। इसके बाद अयोध्या में रामलला के दर्शन करने जाएंगे।
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