DoT ने सभी स्मार्टफोन कंपनियों को ‘संचार साथी’ (SancharSaathi) साइबर सुरक्षा ऐप प्री-इंस्टॉल करने और उसे न-डिलीटेबल बनाने का आदेश दिया है। नई–पुरानी सभी डिवाइसेज में ऐप अनिवार्य होगा। सरकार ने WhatsApp और Telegram पर SIM Binding लागू करने का निर्देश भी जारी किया है।
नई दिल्ली
भारत में साइबर सुरक्षा की लगाम अब सरकार अपने हाथ में और कसी हुई दिखाना चाहती है। टेलीकॉम विभाग (DoT) ने सभी स्मार्टफोन कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे अपने नए स्मार्टफोन्स में सरकार द्वारा विकसित साइबर सुरक्षा ऐप ‘संचार साथी’ (Sanchar Saathi) को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करें। इतना ही नहीं—यूज़र इस ऐप को अपने फोन से हटाने (Delete) का विकल्प भी नहीं पाएंगे।
सरकार ने कंपनियों को यह भी कहा है कि जिन फोन्स की बिक्री पहले ही हो चुकी है, उनमें भी एक सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए यह ऐप जोड़ना अनिवार्य है। निर्देश का पालन करने के लिए कंपनियों को तीन महीने का समय दिया गया है, जबकि इंडस्ट्री के कई दिग्गज इस फैसले पर असंतोष जता सकते हैं—क्योंकि इसका सीधा असर Apple, Samsung, Xiaomi, Oppo, Vivo जैसी कंपनियों पर पड़ेगा।
DoT और स्मार्टफोन कंपनियों से इस पर प्रतिक्रिया मांगी गई है, लेकिन अब तक जवाब नहीं मिला।
सरकार का बड़ा ढाँचा—’एंटी स्पैम’ + ‘एंटी फ्रॉड’ + ‘SIM Binding’
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक यह निर्देश सरकार की एक बड़ी साइबर सुरक्षा रणनीति का हिस्सा है। इसी रणनीति में हाल ही में DoT ने WhatsApp और Telegram जैसे प्लेटफॉर्म्स को SIM Binding लागू करने का आदेश दिया है—यानी रजिस्ट्रेशन जिस SIM पर किया गया, वही SIM फोन में होना चाहिए, तभी ऐप चलेगा।
इसका सीधा असर यह होगा कि—
- WhatsApp Web जैसी सर्विसेज अब यूज़र्स को लगातार लॉग-इन नहीं रहने देंगी
- हर 6 घंटे में अपने-आप लॉग आउट हो जाएगा
- ऐप्स को यूज़र के IMSI (International Mobile Subscriber Identity) तक पहुंच देनी होगी, ताकि SIM की पहचान रियल-टाइम में मिल सके
संचार साथी क्या करता है?
- खोए/चोरी हुए फोन को IMEI नंबर के जरिए ब्लॉक और ट्रेस करता है
- संदिग्ध कॉल, SMS, WhatsApp फ्रॉड कम्युनिकेशन की रिपोर्ट करने की सुविधा देता है
- पुलिस अथॉरिटीज को नकली फोन रोकने और चोरी की डिवाइसेज पकड़ने में मदद करता है
यह ऐप जनवरी 2025 में लॉन्च हुआ था और अगस्त 2025 तक 50 लाख+ डाउनलोड पार कर चुका है। सितंबर 2025 की सरकारी प्रेस रिलीज़ के मुताबिक—
- 37.28 लाख मोबाइल फोन इस ऐप के जरिए ब्लॉक किए गए
- 22.76 लाख डिवाइसेज को ट्रेस किया जा चुका है
फिलहाल यह ऐप Apple App Store और Google Play Store पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध है, लेकिन यूज़र्स के पास इसे इंस्टॉल करने–न करने का विकल्प है।
नए आदेश के बाद यह विकल्प खत्म हो जाएगा—
नई डिवाइसेज में ऐप पहले से इंस्टॉल मिलेगा, और पुराने फोन अपडेट के साथ इसे अनिवार्य रूप से प्राप्त करेंगे।
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