उदयपुर के राजस्थान कृषि महाविद्यालय स्थित जे.सी. बोस हॉस्टल में डॉ. जगदीश चन्द्र बोस की 167वीं जयंती उत्साह और गरिमा के साथ मनाई गई। विद्यार्थियों ने प्रस्तुतियों, पोस्टरों और संकल्पों के माध्यम से विज्ञान व अनुसंधान के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई।
उदयपुर
राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर के जे.सी. बोस हॉस्टल में आज भारत के महान वैज्ञानिक डॉ. जगदीश चन्द्र बोस की 167वीं जयंती बेहद गरिमामय और प्रेरणादायक वातावरण में मनाई गई। पूरा हॉस्टल परिसर विज्ञान, जिज्ञासा और बोस के अनूठे योगदान को याद करने की भावना से भरा नजर आया।
कार्यक्रम की शुरुआत हॉस्टल परिसर में चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुई। इसी के साथ दिनभर चलने वाली वैज्ञानिक गतिविधियों की औपचारिक शुरुआत हुई।
हॉस्टल वार्डन प्रो. जी. एल. मीणा ने डॉ. बोस के जीवन, शोध और भारतीय विज्ञान में उनके प्रभाव पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पौधों की संवेदनशीलता पर किए गए डॉ. बोस के प्रयोग और क्रेस्कोग्राफ के आविष्कार ने विश्व वैज्ञानिक समुदाय को नई दिशा दी।
छात्र भोला जाटव ने “भारतीय विज्ञान में बोस का योगदान” विषय पर सारगर्भित प्रस्तुति दी। इसके अलावा कई विद्यार्थियों ने पोस्टर, स्लाइड प्रेजेंटेशन और भाषणों के माध्यम से बोस के कार्यों और सोच को आज के समय में भी उपयोगी बताया।
कार्यक्रम के दौरान रेडियो संचार, माइक्रोवेव शोध और वनस्पति विज्ञान में बोस के अद्भुत योगदान पर भी चर्चा की गई।
इस अवसर पर सहायक हॉस्टल वार्डन डॉ. राम नारायण कुम्हार ने कहा—
“डॉ. बोस का जीवन जिज्ञासा, अनुशासन और वैज्ञानिक निष्ठा की मिसाल है। विद्यार्थियों को उनसे प्रेरणा लेकर अनुसंधान एवं नवाचार की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।”
उन्होंने कार्यक्रम में तीन प्रमुख संकल्प भी दिलाए—
- विज्ञान का उपयोग समाज और पर्यावरण के हित में करेंगे
- अनुसंधान में ईमानदारी व पारदर्शिता को सर्वोपरि रखेंगे
- भारत को विज्ञान व नवाचार में अग्रणी बनाने में अपना योगदान देंगे
समापन में, विद्यार्थियों ने एक स्वर में कहा कि यह समारोह उनके लिए केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि वैज्ञानिक सोच की नई शुरुआत जैसा साबित हुआ।
जे.सी. बोस हॉस्टल का यह आयोजन छात्रों के मन में भविष्य में अनुसंधान के प्रति समर्पण की गहरी छाप छोड़ गया।
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