जयपुर
तीन बार के सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया की अब भाजपा में घर वापसी पर मुहर लग गई है। महरिया 19 मई को अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। इसके पीछे कांग्रेस में उनकी उपेक्षा को अहम कारण माना जा रहा है। विधान सभा चुनाव से पहले प्रदेश के इस प्रमुख जाट नेता के भाजपा में शामिल होने को कांग्रेस के लिए एक झटका माना जा रहा है।
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर महरिया अपनी पार्टी से नाराज हो गए थे और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। लेकिन उस चुनाव में वह बुरी तरह हार गए थे। हार के कुछ समय बाद ही वह कांग्रेस में शामिल हो गए। महरिया अब विधानसभा चुनाव से पूर्व एक बार फिर भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। मेहरिया शुक्रवार को सुबह 10 बजे प्रदेश भाजपा कार्यालय में पार्टी ज्वाइन करेंगे। महरिया अक्टूबर 1999 से जनवरी 2003 तक ग्रामीण विकास और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में जनवरी 2003-04 तक उपभोक्ता मामले खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री मंत्री थे।
कांग्रेस के कई दिग्गजों को पटखनी दी
महरिया भाजपा के टिकट पर 1998 से 2009 तक सीकर से तीन बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। 1996 में चुनाव लाडे थे; लेकिन कांग्रेस के डॉ. हरिसिंह के हाथों महरिया को पहले चुनाव में मुंह की खानी पड़ी। डॉक्टर हरिसिंह ने बीजेपी के सुभाष महरिया को 38000 मतों से पराजित किया था। लेकिन महरिया ने 2 साल बाद ही 1998 के लोकसभा चुनाव में डॉक्टर हरिसिंह को 41322 वोटों से हराया। इसके बाद मेहरिया ने 1999 में कांग्रेस के डॉ. बलराम जाखड़ को 28173 मतों से हराया। 2004 में सुभाष महरिया ने फिर तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नारायण सिंह को 54683 मतों से शिकस्त दी।
भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर महरिया ने 2014 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और चुनाव में हार के कुछ समय बाद ही कांग्रेस में शामिल हो गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में महरिया को कांग्रेस की तरफ से सांसद का प्रत्याशी बनाया गया था। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से पार्टी ने मेहरिया से किनारा कर लिया। सितंबर 1957 को जन्मे मेहरिया मूलतः सीकर के लक्ष्मणगढ़ तहसील के कूदन गांव के रहने वाले हैं। रामदेव सिंह धोद क्षेत्र से कई बार विधायक रहने के साथ ही कांग्रेस की राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे।
कांग्रेसी पृष्ठभूमि का होने के बावजूद बीजेपी के कद्दावर नेता भैरों सिंह शेखावत ने सुभाष महरिया को बीजेपी में लाकर 1996 में सीकर लोकसभा चुनाव मैदान में उतारा था। पहली बार हार के बावजूद पार्टी ने 1996 में फिर महरिया पर भरोसा जताया तो वह उस पर खरे उतरे और कांग्रेस के डॉक्टर हरिसिंह को हराकर सांसद बने।
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