भारत की अर्थव्यवस्था (Indian economy) ने दूसरी तिमाही में 8.2% की धमाकेदार GDP ग्रोथ दर्ज की है, जो सभी ग्लोबल व घरेलू एजेंसियों के अनुमान को मात देती है। मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की जबरदस्त रफ्तार से भारत की इकोनॉमी लगातार मजबूती दिखा रही है।
नई दिल्ली
किसी ने सोचा भी नहीं था—आरबीआई से लेकर दुनिया की तमाम रेटिंग एजेंसियों तक, सबने दूसरी तिमाही की जीडीपी को लेकर अपना-अपना “सेफ अनुमान” देकर रखा था: 7%… 7.1%… 7.3%।
लेकिन आज सामने आए सरकारी आंकड़े ने एक झटके में सभी सेफ्टी पिन उखाड़ दी।
जुलाई–सितंबर की तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 8.2% की स्पीड से दौड़ी। यह सिर्फ इस साल की नहीं, बल्कि पिछली छह तिमाहियों की सबसे धमाकेदार ग्रोथ है। यानी दुनिया भर की सुस्त अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत ने फिर साबित कर दिया— ‘धीमा होना हमारे बस में नहीं।’
5 ट्रिलियन डॉलर की राह पर भारत—और यह रफ्तार कहती है कि हम ट्रैक पर हैं
IMF पहले ही साफ कर चुका है— अगर भारत को 2029 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनना है, तो कम से कम 8% की सतत ग्रोथ बनाए रखनी होगी। और मज़े की बात यह है कि:
- Q1 ग्रोथ = 7.8%
- Q2 ग्रोथ = 8.2%
दोनों मिलाकर एवरेज 8% — बिल्कुल IMF के लक्ष्य की लाइन में।
तो आखिर GDP की रफ्तार बढ़ी कैसे? तीन बड़े इंजन
1. मैन्युफैक्चरिंग की शानदार वापसी — 9.1% की छलांग
इलेक्ट्रॉनिक्स, EV, मोबाइल, ऑटो और फार्मा—पांचों सेक्टर्स में रिकॉर्ड प्रोडक्शन।
सरकार की PLI स्कीम और कच्चे माल की कीमतों में स्थिरता ने कंपनियों को खुलकर उत्पादन बढ़ाने का मौका दिया। यही सेक्टर इस बार GDP का सबसे बड़ा हीरो बनकर उभरा।
2. सर्विस सेक्टर की डबल-डिजिट उड़ान — 10.2%
फाइनेंस, रियल एस्टेट, इंश्योरेंस और प्रोफेशनल सर्विसेज में शानदार उछाल।
भारत की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा यही सर्विस सेक्टर है—
और इस बार इसने पूरे GDP को खींचकर ऊपर कर दिया।
3. इंफ्रास्ट्रक्चर पर रिकॉर्ड खर्च
सरकार का कैपेक्स मॉडल जोर पर है—
सड़क, रेल, लॉजिस्टिक्स और बड़े प्रोजेक्ट्स पर खर्च ने कंस्ट्रक्शन व allied सेक्टर्स को रफ्तार दी।
ऊपर से GST रिफॉर्म के बाद घरेलू मांग में उछाल और रिकॉर्ड कलेक्शन ने आर्थिक गतिविधियों में नई गर्मी भर दी।
कौन-कौन से सेक्टर ने कैसे परफॉर्म किया?
- होटल व टूरिज़्म: 6.1% → 7.4%
- मैन्युफैक्चरिंग: 2.2% → 9.1%
- सर्विस/फाइनेंस/री-एस्टेट: 10.2%
- माइनिंग: -0.4% → -0.04% (लगभग फ्लैट)
- कंस्ट्रक्शन: 8.4% → 7.2% (थोड़ी ठंडक)
- इलेक्ट्रिसिटी: 3% → 4.4%
- एग्रीकल्चर: 4.1% → 3.5% (बारिश की मार)
एक लाइन में निचोड़
ग्लोबल मंदी का डर भारत को रोक नहीं पाया। दूसरी तिमाही के आंकड़े साफ दिखा रहे हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था वो खिलाड़ी बन चुकी है, जो दबाव में और तेज दौड़ता है।
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