मेडिकल क्षेत्र में लूट-खसोट, जनता कर रही त्राहिमाम

हकीकत 

गिरिराज गुप्ता एडवोकेट 


क्या देश की सरकारें व प्रशासन उनकी नाक के नीचे, आंख के सामने हो रही लूटखसोट पर नियंत्रण लगा पाएंगी? देश में कोरोना काल के समय चारों ओर मचे इस हाहाकार से देश की जनता भयभीत है। और वह दिन रात ईश्वर से यही प्रार्थना करती है कि  इस महामारी का प्रवेश उनके घर में ना हो और यदि परिवार का कोई व्यक्ति इसकी चपेट में आ भी जाता है, तो उसको हॉस्पिटल तक पहुंचने की आवश्यकता ना पड़े। क्योंकि वह दिन रात समाचार पत्र व न्यूज़ चैनल के माध्यम से देशभर में कदम-कदम पर चलने वाले लूटखसोट के दृश्य देखता है। तो एक अच्छे खासे आदमी की रूह कांप जाती है, कि किस प्रकार से यदि उनके घर में कोई इसकी चपेट में आ गया तो मरीज को अपने घर से हॉस्पिटल तक पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस, उसके बाद हॉस्पिटल में भर्ती कराने की मशक्कत और यदि जैसे-तैसे हॉस्पिटल में घुस भी गया तो वहां पर उपलब्ध आधी अधूरी सुविधा, फिर वहां पर विभिन्न प्रकार की महंगी दवाइयों के नाम, हॉस्पिटल की सुविधा के नाम ,उससे भी आगे वहां पर कार्यरत विभिन्न प्रकार के कर्मचारियों को खुश रखने पर हो रही लूट खसोट से उसकी रूह कांप जाती है।

इस महामारी के समय जब देश की जनता त्राहिमाम, त्राहिमाम कर रही है। ऐसे समय में भी क्या देश की केंद्र  व राज्य सरकारें  इन मुट्ठी भर लोगों की लूटखसोट, जमाखोरी व कालाबाजारी पर अंकुश नहीं लगा सकती जबकि उनकी इस लूटखसोट के खिलाफ संपूर्ण देश से आवाज उठ रही है कि वह ऐसे अपराधियों को कठोर से कठोर दंड दे। यदि हमारी सरकारें व प्रशासन महामारी के इस दौर में जो हालात चल रहे हैं, ऐसे समय में भी इन अपराधियों पर नियंत्रण नहीं कर सकती तो फिर ऐसे में एक सामान्य समय में आम आदमी देश में कदम- कदम पर सभी विभागों में फैली हुई अनियमितता, अफसरशाही, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचारी पर अंकुश लगे इसकी तो कल्पना भी नहीं कर सकता।

आवश्यकता है कि समय रहते ऐसे अपराधियों को निष्पक्ष भाव से चाहे वह किसी का भी समर्थक हो, उसको संरक्षण प्राप्त हो या कितना ही बड़ा ओहदेदार हो, दंडित किया जाए तभी जनता में सरकार व प्रशासन के प्रति विश्वास बना रह सकेगा। अन्यथा यदि जनता के सब्र का बांध टूट गया तो यह परिस्थितियां और भी विकराल रूप ले सकती हैं।




 

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